ध्यान के लिए किसी एक सुखद आसन और मुद्रा का चुनाव करें। आँखें कोमलता से मुंदी हुई हों। कुछ देर तक सामान्य गति से साँस लें और हर साँस के साथ ख़ुद को आरामदायक और शिथिल होते हुए महसूस करें। महसूस करें कि आप एक समंदर के किनारे खड़े हैं। कल्पना करें कि यह समंदर शुद्ध पारदर्शी पानी से भरा हुआ है उस पानी में कोई कचरा नहीं है न ही किसी भी प्रकार की अशुद्धि है, बिलकुल तरोताजगी से भरा हुआ पानी।
अनुभव करें कि आप पानी के अंदर खड़े हैं। अपने पैरों को पानी के एक स्ट्राॅ की तरह महसूस करें। जैसे ही आप सांस भरते हैं, उस स्ट्राॅ के माध्यम से पानी आपके शरीर में भर जाता है और वह आपके पूरे शरीर का सारा अशुद्ध भाग लेकर सांस छोड़ने के साथ ही वापस बाहर निकल जाता है।
इस प्रक्रिया को बार-बार करें और हर बार अपने शरीर को और भी अधिक स्वच्छ और शुद्ध होते हुए महसूस करें। तीन सामान्य गहरी सांस के साथ प्रयोग को संपन्न करें।
aap ke blog se bhut sikhne ko mil raha hai.
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Thanks Nisha ji
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AAP ke blog ke sath gahrai me Jane ki koshis kar rahey hey. Nice
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I am feeling happy that you like it… thanks for your kind words.
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Very nice
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