आँखें बंद करें और खुद के चेहरे को छुएँ, अपनी आँख, नाक, गाल, होठ, ठुड्डी, गला…. उनकी कोमल बनावट को अपने हाथों से महसूस करें अपने ललाट को और सर के बालों को अपनी अंगुली के पोरों से आहिस्ते से छुएँ। अपनी सांसों की छुअन को अपनी हथेलियों पर महसूस करें। और खुद से कहें……I LOVE YOU,…… I LOVE YOU SO MUCH, ..I MISS YOU!
ज़िन्दगी ने हमें क्या सिखाया है?
जब तक हाथ पैर में दम है, तब तक दुनिया पूछती है।
ये शरीर की खूबसूरती चन्द दिनों की है (काया रो गुलाबी रंग उड़ जासी)।
जब तक हाथ में पैसा है, तभी तक समाज में इज्जत है।
ज़िन्दगी एक जंग है, हाथ पैर मारते रहो, वर्ना कोई धक्का देकर आगे चला जायेगा।
इस प्रकार कितनी बार हमने खुद को और समाज को कोसा है और कुतर दिए हैं अपने पंख। समाज की बनाई लकीरों पर चले हैं (पता नहीं यह समाज कौन है?) ….।
कुछ हटकर सोचें!
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मैं खुबसूरत हूँ।
मैंने जिंदगी से भरपूर प्यार, सम्मान और अनुभव पाया है।
हर दिन, हर पल मेरे लिए एक उपहार है।…..
मैं खुद को बिना शर्त प्यार करता हूँ।
आज एक नया प्रयोग करें! खुद को एक प्रेम-पत्र लिखें। थोड़ा अजीब सा लग रहा है! मन में घबराहट हो रही है!….कोई बात नहीं। मगर एक बात याद रखें कि आपसे बेहतर खुद को और कौन पहचान सकता है? अतः मन बनायें और कर डालें।
सबसे पहले एक खुबसूरत लेटरपेड चुनें या फिर सबसे अच्छी quality का पेपर लें।
फिर एक अच्छा सा स्मूथ चलने वाला पेन लें, पेन ऐसा होना चाहिए जो बार-बार अटके न।
खुद को अपने सबसे प्यारे नाम से संबोधित करें (मुझे मेरे एक प्यारे दोस्त द्वारा पिन्नु कहा जाता था)। जरुरी नहीं कि सरकारी खातों या आधार कार्ड में दर्ज नाम ही लिया जाये। उस नाम को सबसे बेहतर तरीके से कौन बोलता था उसे याद करें और उस ध्वनि को अपने कानों में गूंजते हुए महसूस करें।
जिंदगी के कुछ खुबसूरत पलों को याद करें, जैसे : क्या तुम्हें याद है जब …..कुछ ऐसा हुआ था…(मुझे याद आते हैं वे पल जब मेरे प्रिय पिता समान गुरु आचार्य महाप्रज्ञ ने किसी बात पर मुस्कुराते हुए कान पर होले से चपत लगायी थी। मैं आज भी उस छुअन को महसूस कर सकता हूँ)। अपने अच्छे पलों को याद करें उनकी याद की ताजगी से अपने मन को भर जाने दें और उन्हें कागज़ पर उतारें।
जिंदगी के कठिन पलों को भी याद करें जब आपने बड़ी हिम्मत के साथ सामना किया था। खुद की तारीफ करें और लिखें मैं कितना खुशनसीब हूँ कि प्रकृति ने मुझे गलती करने का मौका दिया ताकि मैं नए अनुभव अर्जित कर सकूँ। चाहे वो पहली बार चलने पर गिरना हो या साइकिल को बैलेंस करना सीखने से पहले लगने वाली चोटें हों। इसी प्रकार की अन्य घटनाएँ भी याद करें।
अगर याद आये तो खुद की प्रशंसा में कोई शेर लिखें, या कोई कविता, या फ़िल्मी गीत की कोई खुबसूरत पंक्ति।
इतने सुन्दर और बेमिसाल शरीर और व्यक्तित्व को पाने के लिए खुद को धन्यवाद कहें। और उसे याद दिलाएं कि आप खुद को कितना-कितना-कितना प्यार करते हैं। जब हर कोई आपके खिलाफ था तब भी आप खुद से प्यार करते थे, करते हैं और करते रहेंगें क्योंकि सच्चे दोस्त विपत्ति में भी साथ नहीं छोड़ते और आप अपने सच्चे दोस्त ही नहीं प्रेमी भी हैं।
इसके बाद प्रेषक के रूप में खुद का नाम लिखकर उसे एक अच्छे लिफाफे में बंद कर दें और उस पर खुद का एड्रेस भी लिखें।
उस पत्र को उसी तरह संभाल कर रखें जैसे किसी जेवर को संभाल कर रखते हैं।
Nice…😊
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👌👌👌
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