Find happiness right here right now…
पल रही थी ख्वाहिशें मन में अनंतों,
आज उनका अंत करने जा रहा हूं।
भूख आत्मा की बुझाने का समय है,
सिद्ध पथ चुनने अकेला जा रहा हूं।
है करोड़ों दिनकरों से तेज जिसका अधिक वो..हो
चंद्रमाओं से अमलतम
सागरों से भी गहनतम
सिद्धता अवतरित मुझ में
मौन जिसमें प्रकट पावन
शून्यता का खिले उपवन
शुद्ध हो मम आत्म कण-कण
सिद्धता अवतरित मुझमें
भेद में उलझा रहा था मैं सदा ही
खोज आज अभेद की करने चला हूं।
ढूंढता बाहर सदा था सौख्य जो मैं
आज भीतर की तरफ ही बढ़ चला हूं।
तार अंतर से जुड़ें अब
और झंकृत हो सदा मन
चंद्रमाओं से अमलतम
सागरों से भी गहनतम
सिद्धता अवतरित मुझ में
मौन जिसमें प्रकट पावन
शून्यता का खिले उपवन
शुद्ध हो मम आत्म कण-कण
सिद्धता अवतरित मुझमें
तन ही मैं हूं, मानता था
आत्म से अनजान सा था।
भ्रम अंधेरे में उलझकर
बन गया नादान सा था।
भोर ऊगी जिन्दगी की और जागा
सो रहा मन छोड़कर भ्रम का अंधेरा
गीत मुक्ति का बजा है
सनन सन सन सनन सन सन
चंद्रमाओं से अमलतम
सागरों से भी गहनतम
सिद्धता अवतरित मुझ में
मौन जिसमें प्रकट पावन
शून्यता का खिले उपवन
शुद्ध हो मम आत्म कण-कण
सिद्धता अवतरित मुझमें
so nice
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