ज़िन्दगी परिवर्तन के दौर से गुजरती है, कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे हमारा अपनी ही ज़िन्दगी पर complete control नहीं है। ऐसे समय में लगता है That the complete universe is working against you.
मगर ऐसा होता नहीं है….
Dear Zindagi ने कुछ ऐसा ही सिखाया
किसी खाली दिन में अकेले ही किसी अनजान रास्ते पर अकेले ही निकल पड़ें। ऐसे रास्ते का चुनाव करें जिसमें कोई परिचित व्यक्ति के मिलने की संभावना न हो। अच्छा हो कि शहर से दूर कोई प्राकृतिक स्थल हो या कोई छोटा सा गाँव। शांत भाव से चलते रहें, बिना किसी हड़बड़ी के, आसपास के दृश्यों का मजा लेते हुए। कहीं पहुंचना नहीं है बस खुद तक ही जाना है।
“अनादिनिधन, तीर्थंकरों द्वारा प्रकाशित, गणधरों द्वारा मान्य, द्वादशांग-चतुर्दश पूर्व को धारण करने वाली सरस्वती जो की सत्यवादिनी है वह मुझमें उतरे” इस भाव के साथ इस मन्त्र का जप किया जाये तो सहज ही एक सुखद अहसास होता है।
व्यावसायिक दृष्टि से घर घर घूमकर गुलाब-जामुन बेचने वाले रामसेवक बिना सामायिक किये मुँह में पानी भी नहीं लेते।सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये प्रतिमाह दो उपवास भी करते हैं, साथ ही साथ इनकी स्वाध्याय में अच्छी रूचि है। अपने व्यावसायिक कार्य से समय निकाल कर अब तक अनेक पुस्तकें पढ़ चुके हैं।
स्नान करने के पश्चात हम शारीरिक रूप से खुद को तरोताजा महसूस करते हैं। आलस्य का प्रभाव भी कुछ हद तक कम हो जाता है। वहीँ जैन परंपरा में ज्ञान के अतिचारों में वर्णित अस्वाध्याय के कारणों— यथा मल-मूत्र, वीर्य रक्त आदि अशुभ तत्वों की विशुद्धि भी हो जाती है, जिनके रहने पर स्वाध्याय नहीं किया जा सकता।
मैं स्व को सर्वाधिक महत्व देने वाला व्यक्ति हूँ। इस अपेक्षा को सामने रखकर सर्वप्रथम स्वयं से ही क्षमा प्रार्थना की। किसी और के साथ यदि मैंने कोई दुर्व्यवहार किया है तो उसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव तो मैंने स्वयं ही भोगा है। क्या किसी और के माफ़ कर देने से मेरा बोझ हल्का हो जायेगा?