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भारत में देवी उपासना का क्रम अत्यंत प्राचीन काल से चला आ रहा है। देवी को शक्ति स्वरुप माना गया और शक्ति के अनेक रूपों में एक रूप विद्या का भी है। इसे ही सरस्वती का नाम दे दिया गया। देवी स्तोत्र में एक स्थान पर लिखा गया है-
या देवी सर्वभूतेषु, विद्यारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।।
जैन धर्म में यूं तो वीतराग एवं पञ्च परमेष्ठि को ही वंदनीय माना गया, परन्तु फिर भी देव गति के अस्तित्व को माना गया, वहीं उत्तरकालीन तंत्र ग्रंथों में सोलह प्रकार की विद्या देवियों के अस्तित्व पर भी चर्चा की गई है।
सरस्वती साधना को ज्ञान के विकास हेतु काफी महत्व दिया जाता रहा है और इसके असर से जैन परम्परा भी अछूती नहीं रही। कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य हेमचंद्र ने भी अपनी मुनि अवस्था में सरस्वती उपासना की ऐसा उल्लेख मिलता है। वहीं आचार्य वृद्धवादी, जिन्होंने ढलती वय में दीक्षा ली, ने भी ज्ञान के प्रति अपनी प्रबल प्यास को शांत करने हेतु 21 दिन के उपवास के साथ सरस्वती साधना की।
जैन परम्परा में सरस्वती की साधना से संबंधित अनेक मंत्र उपलब्ध हैं, जिनमें से दो मंत्र मुझे अत्यन्त प्रिय हैं:-
1. ओम् ऐम् नमः
2. ओम् णमो अणाइनिहणे तित्थयर पगासिए गणहरेहिं अणुमन्निए द्वादशांग-चतुर्दशपूर्वधारिणी श्रुतिदेवते सरस्वती अवतर अवतर सत्यवादिनी हुं फट् स्वाहा।
इनमें जो प्रथम मंत्र है, वह एक प्रकार का बीज मंत्र है। मैंने ऐसा महसूस किया है कि इस मन्त्र के उच्चारण के दौरान मस्तिष्क के फ्रंटल लोब और हाइपोथेलेमस एरिया में कम्पन बढ़ जाता है। एकाग्रता की कमी का एक कारण है फ्रंटल लोब की अल्प-सक्रियता। वहीँ हाइपोथेलेमस एरिया हमारे अनुभूतिपरक ज्ञान से सम्बन्ध रखता है। ऐसा संभव है कि इस मन्त्र का निर्माण करने वाले आचार्यों/मंत्रविदों ने इस प्रक्रिया पर ध्यान दिया हो! वैसे इस विषय पर शोध की गुंजाइस है।
दूसरा मन्त्र सरस्वती को एक देवी के रूप में न देखकर श्रुतज्ञान के प्रतीक के रूप में व्याख्यायित करता है। कितना सुन्दर पाठ है। “अनादिनिधन, तीर्थंकरों द्वारा प्रकाशित, गणधरों द्वारा मान्य, द्वादशांग-चतुर्दश पूर्व को धारण करने वाली सरस्वती जो कि सत्यवादिनी है वह मुझमें उतरे” इस भाव के साथ इस मन्त्र का जप किया जाये तो सहज ही एक सुखद अहसास होता है।
वैसे मैं मन्त्र से सम्बंधित देवी-देवताओं को एक भाव-ऊर्जा के रूप में देखता हूँ। मुझे लगता है कि देव-गति के देवता और मन्त्र-देवता भिन्न-भिन्न हैं। इस सन्दर्भ में यदि आपके अपने कोई विचार हों तो कृपया मुझे अवगत करवाएं। आपके comments का मुझे इंतजार रहेगा…
Me sarswati sadhna Sikh a chahta hu kripya mujhe Marg darsan de
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मैं सरस्वती साधना सीखना चाहता हूं कृपया मुझे मार्गदर्शन दें
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